Thursday 26 September 2019

Topper ke time table

           Topper kaise bane


नमस्कार दोस्तो, 
एक टोपर के नाम सुनते ही दिल मे आग लग जाती है कि
वे कैसे पढ़ते है
कितना सोता है
क्या खाता होंगे
उसका टाइम टेबल क्या रहता है
तो दोस्तो चलिए आपको एक-एक करके इस बातो की जानकारी लीजिये
1.कैसे पढ़ते है-
1 टाइम बना के

रेगुलर स्टडी
रेगुलर क्लास अटेंड
स्टूडेट स्टडी मॉर्निंग
अर्ली टो बेड
थैंक दोस्तों और आगे

Tuesday 21 November 2017

Bseb cent up exam 2017/2018

Bseb ka cent up exam. 2017
I.a, i.sc , i.com ka date 16-11-2017 to 21-11-2017

Wednesday 15 November 2017

आइये जाने क्रोध (गुस्से) का ज्योतिषीय कारण और उपाय —jyotish se Jane angry ke karan

  मित्रों / प्रिय पाठकों,
इस दुनिया में शायद ही कोई प्राणी होगा जिसे गुस्सा नहीं आता, जब भी कुछ हमारे मन मुताबिक नहीं होता, तब प्रतिकार स्वरूप जो प्रतिक्रिया हमारा मन करता है, वही गुस्सा है।
क्रोध का मौलिक उद्देश्य अपने जीवन की रक्षा की है। एक बच्चे को पहले पोषण और अपनी जरूरत को पूरा करना होता है जब मनचाही जरूरत पूरी नहीं होती तब क्रोध व्यक्त करना शुरू होता है -पहले स्तर पर क्रोध, शारीरिक और भावनात्मक अस्तित्व के लिए रोना एक तरीका होता है। बाद के जीवन में, अहंकार भी महसूस करते हैं और अपनी पहचान की रक्षा के क्रम में क्रोध व्यक्त करना शुरू होता है।

मानों यह बहुत ही स्वाभाविक प्रक्रिया है, पर सच यह नहीं है। गुस्सा एक सुनामी जैसा है, जो जाने के बाद बर्बादी के निशान छोड़ जाता है। गुस्से में सबसे पहले जबान आपा खोती है, वह सब कहती है, जो नहीं कहना चाहिए और रिश्तों में क डवाहट घोलती है। गुस्सा आए और जल्दी शांत हो जाए तब भी किसी हद तक ठीक है परन्तु चिंता का विषय तब होता है। जब गुस्सा आए परंतु जल्दी शांत न हो। यही गुस्सा जब ज्यादा देर हमारे दिमाग में रह जाता है तो बदले की भावना में बदलने लगता है। बहुत से अपराधों की जड में यही गुस्सा और बदले की भावना होती है।
इसी सिक्के का दूसरा पहलू है कि गुस्से में हम किसी का अपमान करते हैं, यही गुस्सा उसके मन में बदले की भावना में बदलता है और हम अपने लिए शत्रुओं की कतार खडी कर लेते हैं। मानसिक तनाव बढ़ता है, जिसका विपरीत प्रभाव स्वास्थ्य पर, सामाजिक प्रतिष्ठा पर और हमारे रिश्तों पर पडता है।

अपने गुस्से की वजह से इंसान बड़े-बड़े नुकसान कर डालता है। क्रोध के कारण उसकी सामाजिक क्षति तो होती ही है वो रिश्तों और पैसों से भी हाथ धो बैठता है। गुस्सा करने वाले इंसान से लोग दूरियां बना लेते हैं और पीठ पीछे उसकी काफी बुराई करते हैं। कभी-कभी लोग शार्ट टेंपर्ड लोग को मानसिक रोगी या साइकिक जैसे शब्दों से संबोधित करते हैं।

क्रोध को शांत कैसे करे?

क्रोध को एक उर्जा माना जाता है और क्रोध हर किसी व्यक्ति को आता है, किसी को कम तो किसी को ज्यादा क्योकि गुस्सा एक साधारण भावना होती है लेकिन अगर ये हद से बाहर हो जाए तो इसके बहुत ही बुरे परिणाम होते है और ये आपको, आपके रिश्तो और आपके मस्तिष्क की स्थिति को भी हानि पहुंचा सकती है. अगर कोई व्यक्ति अपने क्रोध पर नियंत्रण कर लेता है तो उसे बुद्धिमान कहा जाता है, किन्तु कई व्यक्ति ऐसे भी होते है जो क्रोध में आकर अपशब्दों और मुर्खतापूर्ण व्यवहार करने लगते है।।

गुस्सा क्यों आता है ?

गुस्सा आने के लिए जरूरी नही है कि आपको एक बड़े कारण की जरूरत होती है, बल्कि कई बार आपको छोटी छोटी बातो पर भी गुस्सा आने लगता है. इसका कारण होता है हमारा महत्वकांक्षी होना, साथ ही हमारे दिन में होने वाली घटनाएँ भी हमारे गुस्से का कारण होती है. ये गुस्सा या तो आपके घर के सदस्यों, आपके मित्रो या फिर अपने सहकर्मियों पर निकल जाता है और आपके उनके साथ रिश्तो में कड़वाहट पैदा कर देता है. कुछ लोग तो ऐसे होते है जो कही भी अपने गुस्सा निकल देते है और चीखने चिल्लाने लगते है. हर व्यक्ति चाहता है कि वो जो भी कार्य करे वो उसके हिसाब से हो, किन्तु जब स्थिति आपके विपरीत कार्य करने लगती है तो आपको गुस्सा आने लगता है. इसलिए कहा जाता है कि व्यक्ति जब तक महत्वकांक्षी रहता है तब तक उसे गुस्सा आता रहता है और उसे कभी भी संतोष प्राप्त नही होता।।
वैज्ञानिको ने पता किया है कि व्यक्ति में गुस्से का जिम्मेदार उसके मस्तिष्क के अन्दर का ब्रेन रिसेप्टर
( Brain Receptor ) होता है. ये एक एंजाइम ( Enzyme ) होता है, जिसका नाम है मोनोएमीन ओक्सीडेस ए ( Monoamine oxides A )।।

अगर हम इस रिसेप्टर को बंद करा ले तो हमे गुस्से से निजात भी मिल सकती है।।
जब भी हमे गुस्सा आता है तो कई प्रकार के नकारात्मक विचार हमारे अन्दर प्रकट होने लगते है, इनका एक कारण किसी प्रकार की निराशा भी हो सकती है, किसी प्रकार की मानसिक कमजोरी या डर भी हो सकता है.
ये स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. कभी कभी व्यक्ति खुद अपने लिए भी हानिकारक हो जाता है और दुसरो के लिए भी।।

क्रोध को गुस्सा भी कहा जाता है, ये एक प्रकार का उग्र रूप होता है हमारे व्यक्तित्व का. परन्तु गुस्सा हमेशा खतरनाक नहीं होता है. अगर कोई सोच समझकर सामंजस्य के साथ इसका प्रयोग करता है तो इसके द्वारा बहुत से कार्य को करवाया जा सकता है।।

हम अक्सर देखते है की कोई गुस्से से अपना मोबाइल फेक देता है, कोई घर की चीजो को फोड़ने लगता है और बाद मे उन्हे भान होता है की उनसे गलती हो गई है. इसके कारण न सिर्फ आर्थिक नुक्सान होता है बल्कि स्वास्थ्य हानि भी होती है।।

किसी व्यक्ति को जब क्रोध आता है तो उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है और खून का वेग तेज हो जाता है। इन अनुक्रियाओं के कारण उसके दिल पर दबाव बढ़ता है। एक तरफ जहां क्रोध और विद्वेष के बीच सीधा संबंध होता है, वहीं दूसरी तरफ दिल की बीमारी में वृद्धि भी होती है।

क्रोध परिवार के लिए भी नुकसानदेह होता है। क्रोध करने के बाद व्यक्ति स्वयं पछताता है क्योंकि क्रोध के समय बुद्धि कार्य करना बंद कर देती है। इससे परिवार में तनावपूर्ण तथा अप्रीतिकर वातावरण उत्पन्न होता है।

बच्चों के प्रति हमारा बार-बार क्रोध करना उन्हें अति संवेदनशील बनाता है, वे चिड़चिड़े हो जाते हैं तथा उनमें आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। परिस्थितिवश क्रोध यदि स्वाभाविक अनुक्रिया हो ही, तो भी स्वयं से पूछें कि क्या आपके क्रोध करने से आपको बेहतर परिणाम मिलेंगे? और क्या आपके क्रोध करने से आपको आपकी मनचाही चीज मिल जाएगी?
स्वयं से पूछें कि परिस्थिति उपयुक्त है या नहीं। मसलन, यदि आप जोर से बोलें या चिल्लाएं तो क्या आपकी प्रतिष्ठा धूमिल होगी? क्या आप कहीं बेवजह किसी का ध्यान तो आकर्षित नहीं कर रहे?

जानिए क्रोध ( गुस्से) आने के कुछ ज्योतिषीय कारण —

गुस्से का सम्बन्ध कुंडली के प्रथम भाव से अधिक है।। अगर कुंडली के प्रथम भाव मे समस्या हो तो व्यक्ति गुस्सेल होगा. उदाहरण के लिए नीच का शनि , ख़राब राहू या केतु व्यक्ति को जिद्दी और गुस्सेल बना देता है।।
इसके अलावा जब –जब नकारात्मक ग्रह महादशा, अन्तर्दशा मे आते है तो भी व्यक्ति कुछ समय के लिए गुस्सेल हो जाता है.
परन्तु इसे कन्ट्रोल करना चाहिए।।
ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाये तो क्रोध के मुख्य कारण मंगल, सूर्य, शनि, राहु तथा चंद्रमा होते हैं।

इनमें से यदि मंगल ग्रह सूर्य (पहचान और सहनशक्ति) और चंद्रमा (शारीरिक और भावनात्मक जरूरत) के समान व्यवहार कर सकता है, यदि जन्मकुंडली में सूर्य और चंद्रमा, मंगल ग्रह से संबंधित हो तो क्रोध व्यक्त करने में कामयाब हो जाता है।

सामान्य तौर पर एक छोटा लक्षण भी लंबे समय के क्रोध के लिए काफी होता है। क्रोध, आलोचना और बौद्धिक/ सामाजिक श्रेष्ठता की भावना की ओर ले जाता है।
अभिव्यक्ति ज्ञान के साथ संतुलित होती है।
मंगल ग्रह का शनि से युति गुस्से को नियंत्रित करने में असमर्थ होती है। यह अत्यधिक विघटन का भाव पैदा कर सकते हैं।

जिन व्यक्तियों का मंगल अच्छा नहीं होता है, उनमें क्रोध और आवेश की अधिकता रहती है। ऐसे व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर भी उबल पड़ते हैं।

अन्य व्यक्तियों द्वारा समझाने का प्रयास भी ऐसे व्यक्तियों के क्रोध के आगे बेकार हो जाता है। क्रोध और आवेश के कारण ऐसे लोगों का खून एकदम गर्म हो जाता है। लहू की गति (रक्तचाप) के अनुसार क्रोध का प्रभाव भी घटता-बढ़ता रहता है।

राहू के कारण जातक अपने आर्थिक वादे पूर्ण नहीं कर पाता है। इस कारण भी वह तनाव और मानसिक संत्रास का शिकार हो जाता है।
ज्योतिष के अनुसार, क्रोध अग्नि तत्व द्वारा द्योतक है। अग्नि तत्व के साथ संबंधित ग्रहों और राशियों के नकारात्मक या विपरीत होने से संबंधित व्यक्ति प्रतिकूल ग्रहों की अवधि के दौरान, अत्यधिक क्रोध करता है।

मंगल के साथ नीच चंद्रमा घरेलु शांति के लिए शुभ नहीं है. दूसरे घर (तीसरे और छठे घर के स्वामी) और मंगल / शनि के कारण जातक का स्वभाव अपने कैरियर में गंभीर समस्याओं का सामना कराता है।

वे सभी जातक जिनकी कुंडली मे मंगल राहु और शनि ज़्यादा प्रभावित होते है वो लोग ज़्यादा झगड़ा करते है ।
यदि मंगल के साथ राहु होगा तो ज़्यादा झगड़ा करते है ।
यदि कुंडली में शनि कमज़ोर होगा तो भी झगड़ा करते है ।
राहु शरीर मे गर्मी बढ़ाता है ।
यदि चंद्रमा लग्र में या तीसरे स्थान में मंगल, शनि या केतु के साथ युत हो तो क्रोध के साथ चिडचिडापन देता है। वहीं यदि सूर्य मंगल के साथ योग बनाये तो अहंकार के साथ क्रोध का भाव आता है।

मंगल शनि की युति क्रोध जिद के रूप में व्यक्त होती है। राहु के लग्र, तीसरे अथवा द्वादश स्थान में होने पर काल्पनिक अहंकार के कारण अपने आप को बडा मानकर अंहकारी बनाता है जिससे क्रोध उत्पन्न हो सकता है।
ध्यान रखें—जिस बच्चे का माथा ज़्यादा बड़ा होगा या ज़्यादा ही छोटा होगा तो भी झगड़ा करते है ।
उन्हें B.P. की प्राब्लम हो जाती है ।
उन बच्चों को नींद मे डर लगता है ।

क्रोध (गुस्से) से होने वाली हानियाँ (नुकसान)—

यदि कोई व्यक्ति लगातार गुस्सा करता है तो उसे सर दर्द की शिकायत हो सकती है क्यूंकि गुस्सा करने से सर मे ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होती है।।
****ये क्रोध व्यक्ति को अवसादग्रस्त भी कर सकता है।।
**** क्रोध करने वालों को हाई ब्लड प्रेशर की बिमारी भी हो सकती है ।।
**** क्रोधी लोगों को मधुमेह (डाइबिटीज) होने का खतरा बढ़ जाता है ।।
**** क्रोध करने वालों की फेफड़ो की कार्य क्षमता भी प्रभावित होती है ।।
**** कुछ लोगो को सांस लेने मे भी समस्या होने लगती है।।
**** क्रोध करने वाले कुछ लोग पाचन तंत्र की समस्या से ग्रस्त हो जाते है ।।
****गुस्सेल लोगो को नींद आने मे भी समस्या होने लगती है.
****गुस्सा आदमी को जुर्म की दुनिया मे भी घुसा देता है.
वास्तव मे देखा जाए तो गुस्से से व्यक्ति खुद को ही सजा देता है. अतः ये जरुरी है की हम अपने क्रोध पर नियंत्रण करे ।।

* गुस्से को कम करने के समाधान :—

गुस्से को कम करने के लिए आप अपनी राशि के आधार पर और मनोविज्ञान के आधार पर उपाय कर सकते हैं जो निम्नलिखित है—
आप अपनी राशि के आधार पर क्रोध को निम्न उपाय अपनाकर शांत करें :—

मेष : मेष राशी के जातको का प्रधान मंगल होता है. इस राशी के जातको को गुस्सा कम ही आता है किन्तु जब इन्हें गुस्सा आता है तो इनका रूप प्रचंड हो जाता है. इन्हें अपने क्रोध को नियंत्रण में रखने के लिए मंगलवार के दिन व्रत रखना चाहियें. साथ ही हनुमान जी की विधि विधान से पूजा अर्चना करनी चाहियें. अगर आप मंगलवार के दिन मीठे पानी का दान करते हो तो ये आपके लिए और भी लाभदायक होता है।।

वृष : वृष राशि वाले जातको को गुस्सा बहुत आता है, इन्हें अपने क्रोध को शांत रखने के लिए अंकुरित हरी मुंग और सौंफ का प्रतिदिन सेवन करना चाहियें, साथ ही इन जातको को भगवान गणेश जी की पूजा करनी चाहियें और उन्हें एक सुपारी अर्पित करनी चाहियें.

मिथुन : मिथुन राशि के जातको को दूध, दही, मक्खन, पनीर इत्यादि सफ़ेद वस्तुओं का अधिक सेवन करना चाहियें. सफ़ेद रंग शांति का प्रतिक होता है और इनका सेवन करने से इनके मन में शांति का वास होता है. इस राशी के जातको को माता दुर्गा जी की पूजा करनी चाहियें।।

कर्क : कर्क राशी के जातको के गुस्से को शांत करने के लिए धुम्रपान करना बिलकुल भी अच्छा नही है और इन्हें जितना जल्दी हो सके इसे बंद कर देना चाहियें. अगर आप इसे बंद करने में असमर्थ है तो आप कम से कम मंगलवार के दिन तो धुम्रपान का सेवन बिलकुल मत करें. इनके स्थान पर आप मीठे सौंफ का सेवन कर सकते हो. साथ ही आप देवी पार्वती जी के पुत्र कार्तिकेय की पूजा करें. आपकी गुस्सा करने की आदत में परिवर्तन आएगा।।

सिंह : सिंह राशि वाले जातको का प्रधान गुरु होता है तो सिंह राशि के जातको को गुरुवार के दिन पीली वस्तुओं का सेवन करना चाहियें, इन जातको को अपने माथे पर रोज केसर का तिलक लगाना चाहियें, साथ ही आप गर्म चीज़ो का सेवन बिलकुल ना करें क्योकि ये आपके मिजाज को गर्म बनती है. आप विष्णु जी की पूजा और स्तुति करें, आपको लाभ मिलेगा.

कन्या : कन्या राशि के जातको का पंचमेश स्वामी शनि देव होता है तो इन्हें अपने गुस्से को शांत करने के लिए हनुमान चलिसा का पाठ करना चाहियें. साथ ही इन्हें शनिवार के दिन काली वस्तुओं का सेवन करना चाहियें और काले कपडे ही धारण करना चाहियें।।

तुला : इस राशि के जातको को गुस्सा कम ही आता है क्योकि इनकी राशि का स्वामी चंद्र होता है जो शीतलता देने वाला गृह है. फिर भी इन्हें कुछ स्थितियों में गुस्सा आ ही जाता है. इन्हें अपने गुस्से को शांत रखने के लिए चन्दन का तिलक लगाना चाहियें और शिवाष्टक का पाठ करना चाहियें. ऐसा करने से इनकी कभी कभी गुस्सा आने की आदत भी कम हो जाती है.

वृश्चिक : वृश्चिक राशि के जातको को अपने गुस्से पर नियंत्रण रखने के लिए कच्चे दूध में थोड़ी सी दही और केसर को मिलकर तिलक करना चाहियें. साथ ही इन्हें सरस्वती जी की पूजा करनी चाहियें.

धनु : आपको अपने गुस्से को नियंत्रित करने के लिए सोने से पहले एक बड़े बर्तन में पानी भर कर उसमे सिंधा नमक मिलाना चाहियें और उस पानी में कम से कम 30 मिनट तक अपने पैरो को धोना चाहियें, ऐसे करने से आपकी गुस्सा करने की आदत कम होती है. धनु राशि के जातको को गुस्से को शांत रखने के लिए प्रातः काल के समय भ्रामरी प्राणायाम करना चाहिए, साथ ही इन्हें अधिक मिर्च मसाले से भी चीजों के सेवन से भी बचना चाहियें. इन जातको के लिए कृष्ण जी की पूजा करना लाभदायक होता है.

मकर : मकर राशि के जातको को क्रोध को कम करने के लिए फ़ास्ट फ़ूड का बिलकुल भी सेवन नही करना चाहियें, अपितु इन्हें हरी सब्जी को अपने खाने और आहार में स्थान देना चाहियें. आप हर रोज कत्थे का भी सेवन अवश्य करें. लक्ष्मी जी की पूजा करना आपके गुस्से को कम करने में लाभदायक सिद्ध होता है.

कुम्भ : कुम्भ राशी के जातको को रोज एक हरी इलाइची का सेवन करना चाहियें. साथ ही इन्हें ऐसे खाने से परहेज करना चाहियें जिससे इन्हें बादी हो जैसेकि कद्दू, मैदा, डालडा, उड़द की दाल, छोला और राजमा.

मीन : आपको अपने क्रोध पर काबू पाने के लिए सोमवार के दिन व्रत रखना चाहियें और गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करना चाहियें. आपको खाने में मीठे और नमक का कम सेवन करना चाहियें, साथ ही आप लहसुन और प्याज का भी कम ही सेवन करें।।

जानिए गुस्सा (क्रोध) को दूर करने के उपाय :—

* दो पके मीठे सेब बिना छीले प्रातः खाली पेट चबा-चबाकर पन्द्रह दिन लगातार खाने से गुस्सा शान्त होता है। बर्तन फैंकने वाला, तोड़ फोड़ करने वाला और पत्नि और बच्चों पर हाथ उठाने वाला व्यक्ति भी अपने क्रोध से मुक्ति पा सकेगा। इसके सेवन से दिमाग की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है।

**** प्रतिदिन प्रातः काल आंवले का एक पीस मुरब्बा खायें और शाम को एक चम्मच गुलकंद खाकर ऊपर से दुध पी लें। बहुत क्रोध आना शीघ्र ही बन्द होगा।

**** गुस्सा आने पर दो तीन गिलास खूब ठंडा पानी धीरे धीरे घूँट घूँट लेकर पिएं । पानी हमारेशारीरिक तनाव को कम करके क्रोध शांत करने में मददगार होता है।

**** यदि गुस्सा बहुत आता हो तो धरती माता को रोज सुबह उठकर हाथ से पाँच बार छूकर प्रणाम करें और सबसे विशाल ह्रदय धरती माँ से अपने गुस्से पर काबू करने और सहनशील होने का  मागें।

***** हमेशा याद रखे की गुस्सा हमारे लिए हानिकारक है, अतः इसे छोड़ना चाहिए।।
*** जब भी गुस्सा आने लगे तो लम्बी साँसे लेने लग जाए कुछ देर तक।।

*** रोज सुबह शाम ध्यान करे और व्यायाम भी करे।।

***** मंत्रजाप और सूर्य नमस्कार:— शारीरिक और मानसिक दोनों कमजोरियों पर विजय पाने के लिए मंत्रजाप और सूर्य नमस्कार अचूक अस्त्र हैं, इन्हें प्रमाणित करने की भी आवश्यकता नहीं है। सूर्य नमस्कार, हमारे आत्मविश्वास, आरोग्य को बढ़ाने में सहायक होता है। मंत्रजाप मन की शक्ति को बढ़ाता है और निरंतर अभ्यास से एकाग्रता और धैर्य बढ़ता है।।

**** रोज सुबह हरी घास पे चलना चाहिए नंगे पाँव।।

**** अगर कुंडली मे ग्रह खराब हो तो किसी अच्छे ज्योतिष से संपर्क करके उसके उपाय करने चाहिए।।

**** अच्छे और सकारात्मक विचारों को पढ़ना चाहिए।।

**** ॐ का जप भी बहुत लाभदायक रहता है।।

**** पलाश के छोटे छोटे पत्तों की सब्जी खाने से गुस्सा, और पित्त जल्दी ही शांत होता है ।
रविवार को अदरक, टमाटर और लाल रंग के कपड़े गुस्सा अधिक बढ़ाते हैं अत: इनका कम से कम प्रयोग करें ।
***** ऐसे लोगो को हरड़ का प्रयोग लाभदायक रहता है ।
**** गर्म चीज़ो का इस्तामाल कम करना चाहिए ।
**** दूध छाछ का सेवन करना चाहिए ।
**** आंवला और शह्द का इस्तामाल करे ।
****तला और मिर्च मसाला वाला भोजन ना करे ।
****पानी ज़्यादा पिए
***गाय को रोटी दे ।
***चंदन का टीका लगाए ।
****आर्गला स्त्रोत का पाठ करे ।
**** आपके परिवार में जिनको गुस्सा बहुत आता हो, बात- बात में चिढ़ जाते हो वे लोग सोमवार का उपवास करें, या एक समय भोजन करें। रात कों चन्द्रमा कों अर्घ दें तथा अपने गुस्से पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें । इससे भी मन शान्त रहता है, गुस्से पर नियंत्रण रहता है।
**** भोजन में बहुत अधिक खट्टी, तीखी, मसालेदार चीजें खाने से आँखें जलती हैं, स्वभाव में चिड़चिड़ापन आता है, शीघ्र गुस्सा आता है, अकारण ही सीने और पेट में जलन होती है अत: इन चीजों का बिलकुल त्याग कर देना चाहिए ।
**** वे सभी जातक जिन्हे ज्यादा गुस्सा आता हो उन्हें चाय, काफी, मदिरा से परहेज करना चाहिए ये शरीर को उत्तेजित करते है उसके स्थान पर छाछ, मीठा दूध या नींबू पानी का प्रयोग करना चाहिए ।
**** किसी को यदि गुस्सा आने वाला हो तो 5-6 बार गहरी गहरी साँस लीजिए, कुछ पलों के लिए अपनी आँखे बंद करके ईश्वर का ध्यान करें उन्हें प्रणाम करें उनसे अपना कोई भी निवेदन करें। यह गुस्सा कम करने का सबसे बढ़िया तरीका है। इससे आप भड़कने से पहले ही निश्चित रूप से शांत हो जाएँगे।
**** अपने घर के किसी भी कोने में गंदगी ना रखें क्योंकि गंदगी क्रोध को उकसाती है।
*****पूर्व दिशा में कोई भारी सामान ना रखें।
*****शाम होते ही अपने घर, दुकान या ऑफिस में धूप बत्ती को जलाकर वहां का वातावरण सुगन्धित रखें।
**** जिस स्त्री का पति हर समय बिना बात के ही गुस्सा करता रहता है तो वह स्त्री शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार, सोमवार, गुरुवार या शुक्रवार किसी भी दिन एक नए सफेद कपड़े में एक डली गुड़, चांदी एवं तांबे के दो सिक्के, एक मुट्ठी नमक व गेहूं को बांधकर अपने शयनकक्ष में कहीं ऐसी जगह छिपा कर रख दें जहाँ पति को पता न चले । इसके प्रभाव से भी पति का गुस्सा धीरे-धीरे कम होने लगेगा।
**** क्या मोती रत्न धारण से क्रोध (गुस्सा) काम हो जाता हैं ???
जी नहीं।। मोती नहीं है गुस्सा कम करने का हल। मैंने बहुत से लोगों को यह कहते सुना है कि हमें बहुत क्रोध आता है, क्या हम मोती पहन लें, यह महज कल्पना और मिथ्या भ्रम है कि मोती गुस्सा कम करता है। इसलिए सिर्फ क्रोध कम करने के लिए मोती पहनना उचित नहीं है।
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तो क्या करे  —-
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—-चंद्र को मज़बूत करे ।
—-मा का साथ ऐसे बच्चे को चाहिए होता है ।
—-चाँदी के गिलास मे पानी पिलाए ।
—-सरसो के तेल की मालिश करे कमर के निचले हिस्से मे ।
—-बच्चो को रेस करनी चाहिए बडो को जॉगिंग करनी चाहिए
—-मा बाप को धैर्य से काम लेना चाहिए ।
—ऐसे बच्चो को 35 साल के बाद जीवन् मे बहुत परेशानिया आती है  ।

    All the West !

कैसे लिवर (Liver) को स्वस्थ रखे


लिवर (Liver) मानव शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग है और सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है, क्योंकि यह रक्त से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए जिम्मेदार है। लिवर डिटॉक्सीफिकेशन या विषहरित (detoxification) करने के कई मेडिकल प्रोग्राम हैं, पर ऐसी भी कई प्राकृतिक, और सीधी सादी जीवनचर्या में बदलाव की प्रक्रियाएं भी हैं जिन्हें कर के आप स्वस्थ और साफ़ लिवर पा सकते हैं। आइये पढता हैं यह लेख (liver ko swasth kaise rakhe)।

सही तरल पदार्थों को लेना

कैफीन और शराब का सेवन कम से कम करें: शराब और कैफीन आपके लिवर में विषयुक्त पदार्थों को जमाने के सबसे बड़े जिम्मेदार हैं, और आपको पूरी क्षमता से काम करने से रोकते हैं। अलकोहल और केफ़िनेनेटेड पेयों को कम करके अपने लिवर को साफ़ करें। इन पेयों को नॉन-अल्कोहलिक पेयों से बदलें ताकि आपका लिवर पुनर्निर्माण कर सके। वैसे हाल ही की रिसर्च बताती हैं कि कैफीनरहित कॉफ़ी आपके बड़े हुए लिवर एंजाइमों को घटाने में सहायक हो सकती है। कौन से तरल आपके लिवर एक लिए अच्छे है जानने के लिए आगे पढ़ें।

बहुत सारा पानी पियें: अपने लिवर को साफ़ करने के लिए कम से कम 3 लीटर पानी पिएँ। बहुत सारा पानी पीना आपको हाइड्रेटेड (पानी से परिपूर्ण) रखेगा, जो प्राकृतिक रूप से कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होगा। ये आपके लिवर को विषाक्त और बचे हुए पदार्थों को जल्दी बाहर निकालने में सहायक होगा, और इससे आपके लिवर को तेजी से काम करने और अपनी ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

अपने आहार में नीम्बू शामिल करें: इन में एक बार चाय या पानी में निम्बू का रस लें। निम्बू का रस पित्त की उस उत्पत्ति में सहायक होता है जो आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में सहायक होता है। ये अग्नाशय की पथरी (gallstones) को विकसित होने से रोकता है और आपके हाजमे को बढ़ाता है और आपके लिवर को आमाशय के रसों (gastric juices) के अनुरूप चलने देता है।

ग्रीन टी पिएं: ग्रीन टी में काफी मात्रा में केटेकाइन्स (catechins) पाए जाते हैं, ये एक प्रकार का प्लांट एंटीऑक्सीडेंट होता है जो लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाता हैं और लिवर में वसा के जमाव को कम करने में सहायक होता है। [१]
फलों की स्मूदी या जूस पियें: स्ट्रॉबेरीज, ब्लैकबेरीज, ब्लूबेरीज, और रास्पबेरीज सभी लिवर के स्वास्थ्य को सुधारते हैं। इन फलों में ऐसे आर्गेनिक शुगर पाई जाती है जो रक्त में शुगर के स्तर को कम करते हैं, और आपको बॉडी फैट बर्न करने में सहायता करती है, इससे आपमें फैटी लिवर की बीमारी की संभावनाएं घट जाती हैं। [२]

जूस उपवास (juice fast) प्लान करें: उपवास रखना लिवर को साफ़ करने का एक बेहतर तरीका है। ज्यादातर उपवासों में एक निश्चित समय के लिए केवल फल और सब्जियां ही खाई जाती हैं, या सिर्फ फल और सब्जियों का रस पिया जाता है। सफाई के कई अलग अलग तरीके उपलब्ध हैं--किसी एक का जो आपके शरीर के लिए सही हो चुनाव करें।
अगर आपको कोई समस्या जैसे डाईबिटीज़ है तो उपवास करने के पहले एक नूट्रिशनिस्ट या डॉक्टर से सलाह लेने पर विचार करना चाहिए।
की विधि 2:

स्वास्थ्यप्रद भोजन खाना

ऐसे आहारों से बचें जो आपके लिवर को नुकसान पहुचाते हों: वे आहार जो प्रोसेस्ड होते हैं और जिनमें बहुत सारे प्रिज़र्वेटीव, फैट्स और कोलेस्ट्रोल होतें हैं, आपके लिवर को वसा अवशेषों से संकुलित (congested) और भरा हुआ बना सकते हैं। प्रोसेस्ड या फैटी आहारों से बच कर अपने लिवर को साफ़ करें जिससे आपका लिवर खुद को मुक्त कर सके और अपनी कोशिकाओं का पुनर्निर्माण कर सके। [३]
फ़ास्ट फ़ूड से बचें। विशेषतः, डीप फ्राइड आहारों और प्रिजर्व्ड मीट से बचे (जैसे सॉसेज, बेकन आदि)

बुरे फैट्स से बचें: फैटी रेड मीट, डीप फ्राइड आहार, और प्रोसेस्ड आहार, इन सबसे बचना चाहिए, क्योंकि ये आपके लिवर को अवरुद्ध कर सकते हैं। प्रोसेसेड फैट के कुछ उदाहरण हैं मार्जरीन (margarine) और हाइड्रोजेनेटेड तेल (hydrogenated oils)।
आर्टिफीसियल स्वीट्नर्स, रंगों और प्रेजर्वेटिव्स से बचें। लिवर को स्वच्छ करने के लिए सबसे बेहतर है कि आप प्राकृतिक मार्ग अपनाएँ।

सब्जियां खाएं: कुछ सब्जियों में पोषक तत्व जैसे बीटा कैरोटीन (beta carotene) पाए जाते हैं जो लिवर की कोशिकाओं को स्टिमुलेट करते हैं और लिवर की विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन्स) से रक्षा करते हैं। रोज सब्जियों के पांच आहार लेने का लक्ष्य बनाएं और इनमे उन सब्जियों को शामिल करें जिनमे लिवर के लिए सहायक पोषक तत्व होते हैं।
हरी सब्जियां जो लिवर के स्वास्थ्य को बेहतर बनाती हैं उनमे सम्मिलित हैं हरी डन्डेलियोन या सिंहपर्णी (dandelion), करेला, सरसों का साग, कासनी (chicory) और पालक आदि।

लहसुन का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें: लहसुन में सल्फर युक्त कंपाउंड होते हैं जो लिवर के एंजाइम्स को सक्रिय कर देते हैं जो आपके सिस्टम में उपस्थित विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए काम करते हैं। लहसुन में एलिसिन (allicin) और सेलेनियम (selenium) भी पाए जाते हैं, ये दो पोषक तत्व लिवर को विषाक्त पदार्थों के कारण होने वाले नुकसान से बचाते हैं। ये दो पोषक तत्व डिटॉक्सीफिकेशन (विषहरण) की प्रक्रिया में भी सहायता करते हैं। [४]
अगर आप लहसुन के स्वाद को बिलकुल सहन नहीं कर सकते क्योंकि ये आपको पसंद ही नहीं है तो आप अपने लोकल हेल्थ स्टोर से लहसुन का सप्लीमेंट खरीद सकते हैं।

ग्रेपफ्रूट (मौसमी, संतरा आदि): ग्रेपफ्रूट में विटामिन सी (vitamin C) और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, ये दोनों ही स्वस्थ लिवर की सफाई को बढ़ावा देते हैं। ग्रेपफ्रूट डिटॉक्सीफिकेशन एंजाइम्स को भी बढ़ावा देते हैं और इनमे फ्लवोनोइड (flavonoid) कंपाउंड जिन्हे नरिंगेनिन (naringenin) के नाम से जाना जाता है भी पाए जाते हैं जो आपके लिवर द्वारा फैट का संग्रह करने की बजाय उसे जलाने का कारण बनता है। फिर भी सावधान रहें, ग्रेपफ्रूट की अधिक मात्रा एक लिवर एंजाइम साइटोक्रोम पी450 (cytochrome P450) में बाधा उत्पन्न करती है, जो आपके शरीर द्वारा कुछ प्रकार के आहारों और दवाओं के तोड़े जाने के तरीके को प्रभावित करता है।

हफ्ते में दो बार ऐवकाडो खाएं: ऐवकाडो स्वादिष्ट होते हैं और इनमे ग्लूटाथिओन (glutathione) का निर्माण करने वाले कंपाउंड पाये जाते हैं। ये कंपाउंड लिवर को विषाक्त पदार्थों के अतिरिक्त बोझ से बचाता है।
अखरोट (walnuts) खाएं: अखरोड में एल-आर्जिनिन (l-arginine) जो एक प्रकार का अमीनो एसिड होता है और ओमेगा-3 फैटी एसिड का उच्च स्तर पाया जाता है जो आपके लिवर को बीमारी पैदा करने वाले अमोनिआ से बचाता है। उनके छिलकों के सत्व को कई लिवर स्वच्छ करने वाले कई नुस्खों में उपयोग किया जाता है। [५]

की विधि 3:

हर्बल औषधियों का उपयोग करना

किसी हर्बल सप्लीमेंट का उपयोग करें: प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ/औषधियाँ जैसे बरडॉक या धतूरे की जड़ (burdock) और डन्डेलियोन या सिंहपर्णी (dandelion) की जड़ें सभी शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्ति दिलाने में सहायता करती हैं वहीँ लिवर की कोशिकाओं की सुरक्षा करती हैं और लिवर की कार्यक्षमता को भी बढ़ाती हैं। इन सभी को कैप्सूल्स या टेबलेट में पाया जा सकता है और डन्डेलियोन (dandelion) की जड़ कुछ हर्बल टीज (teas) में भी आती है। इन सप्लीमेंट को अपने दैनिक आहार में शामिल करना लिवर को स्वच्छ करने और इसका कार्य नियमित करने में मदद कर सकता है।

सोया लेसिथिन (Soya Lecithin) का उपयोग करें: सोया लेसिथिन ग्रेन्युल्स में फॉस्फोलिपिड (phospholipids) होते हैं जो लिवर की सुरक्षा में सहायक होते हैं। [६] सोया लेसिथिन ग्रेन्युल्स ज्यादातर हेल्थ फ़ूड स्टोर्स में उपलब्ध हैं।

अपने मैग्नीशियम के अंतर्ग्रहण को बढ़ाएं: मैग्नीशियम पित्त (Bile) के निर्माण को बढ़ाता है, जो बदले में लिवर की सफाई को बढ़ावा देता है। आप अपने लिवर के स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए मैग्नीशियम सप्लीमेंट्स ले सकते हैं। [७]
मैग्नीशियम पाने का दूसरा तरीका है एक चम्मच एप्सम साल्ट को गरम पानी में घोलें और इस मिश्रण को महीने में एक या दो बार पियें। एप्सम साल्ट में बड़ी मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है।

अपने आहार में हल्दी को जोड़ें: हल्दी लिवर की पित्त (Bile) के निर्माण की क्षमता को बढ़ावा देती है, जो लिवर को साफ़ करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे लिवर की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं के पुनर्निर्माण में सहायता करने के लिए भी जाना जाता है। [८]

मिल्क थिसल या भटकटैया (Milk thistle)
सप्लीमेंट लेना शुरू करें: मिल्क थिसल (Milk thistle) आपके लिवर के स्वास्थ्य और विकास को बढ़ावा देता है। मिल्क थिसल (Milk thistle) में सिलिमरिंस (silymarins) होता है, जो ऑक्सीकरण (oxidation) से लड़ते हैं, ये एक ऐसी प्रक्रिया होती है जो आपके लिवर की कोशिकाओं को क्षति पहुँचाती है। यह लिवर में प्रोटीन के संश्लेषण (protein synthesis) में भी बढ़ावा करता है। [९]
की विधि 4:

अपने जीवन को विषमुक्त करना

अपने जीवन को तनावमुक्त करें: तनाव की स्थितियां हार्मोन्स और एंडोर्फिन्स के स्त्राव खून में करती हैं, जो, बदले में, विषाक्त पदार्थों को आपके लिवर में जमा करके उसे धीमा बना देता है। अपने जीवन के हर क्षेत्र से तनाव को बहार निकाल फेंकें।
तनाव मुक्त करने वाली गतिविधियों जैसे योग या ध्यान करने पर सोचें।
प्राकृतिक घर साफ करने के उत्पादों का उपयोग करें: जब आप स्वयं को केमिकल्स के प्रति खुला छोड़ देते हैं, तो आपके लिवर को आपको स्वस्थ रखने के लिए अधिक काम करना पड़ता है। ऐसे केमिकल्स जिनका आप सामना करते हैं प्राकृतिक अवयवों वाले सफाई के उत्पादों का उपयोग करके उनकी संख्या घटायें। आपको आपकी व्यक्तिगत हाईजीन रखने में आर्गेनिक और प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग आपकी सहायता करता है। [१०]

घर में एक एयर प्यूरीफायर के इस्तेमाल पर विचार करें: हवा में जितने ज्यादा विषाक्त पदार्थ होंगे, आपके लिवर को उतने ही ज्यादा विषाक्त पदार्थ आपके शरीर से निकालने होंगे। एयर प्यूरीफायर विशेष रूप से अच्छे निवेश हैं अगर आप किसी शहर में रहते हैं या किसी हाईवे के पास रहते हैं, क्योंकि कारें हवा में विषाक्त पदार्थ जमा करती हैं।

जितना संभव हो उतना व्यायाम करें: व्यायाम आपको एक स्वस्थ शारीरिक वजन बनाये रखने में सहायते करता है, जो बदले में आपकी फैटी लिवर की बीमारी के जोखिम को कम करता है। व्यायाम आपके लिवर के एंजाइम्स की कार्यक्षमता को भी बढ़ाता है। फिर भी, अत्यधिक वेट ट्रेंनिंग बड़े हुए लिवर एंजाइम्स से संबद्ध है, जिस कारण से आपको लिवर फंक्शन टेस्ट के 48 घंटे पहले व्यायाम बंद कर देना चाहिए।

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